नैनीताल हाईकोर्ट का फैसला: वैज्ञानिक डॉ. आकाश यादव की सजा पर रोक, अपील लंबित रहने तक राहत

नैनीताल हाईकोर्ट ने आईआईटियन वैक्सीन वैज्ञानिक डॉ. आकाश यादव को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मिली सजा के निष्पादन को अपील के लंबित रहने तक स्थगित रखने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने वैज्ञानिक के इस तर्क स्वीकार कर लिया कि उसकी सजा पर रोक व्यापक जन स्वास्थ्य के हित में है। तर्क दिया गया कि अपीलकर्ता वैक्सीन अनुसंधान के कार्य में लगा है और सजा के कारण उसे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति नहीं है जो जन स्वास्थ्य और राष्ट्रीय हित से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा है।

न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। डॉ. आकाश यादव पर पत्नी की दहेज हत्या और अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाया गया था। रुद्रपुर के ट्रायल कोर्ट ने उसे इन आरोपों से बरी कर दिया था लेकिन पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया था।

पूर्व में हाईकोर्ट ने वैज्ञानिक को जमानत देते हुए अपील के लंबित रहने तक सजा के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद वैज्ञानिक की ओर से दोषसिद्धि के स्थगन तथा निलंबन की मांग करते हुए अपील की गई थी। कोर्ट ने दोषसिद्धि के आदेश को निलंबित और सजा के क्रियान्वयन को नियंत्रित करने वाले विभिन्न दृष्टांतों के आधार पर दोषसिद्धि के आदेश के साथ सजा के निष्पादन को अपील के लंबित रहने तक निलंबित रखने का आदेश दिया है।

सरकार की ओर से बताया गया कि आरोपी की पत्नी पंतनगर में सेवारत थी। वहीं उसका निधन हुआ जबकि यादव हैदराबाद में था लेकिन सुसाइड नोट में मृतका ने लिखा था कि उसकी मृत्यु के लिए उसका पति जिम्मेदार है।

ये थे वैज्ञानिक के तर्क

वर्ष 2015 के इस मामले में अपीलकर्ता डॉ. आकाश यादव ने कहा कि वह आईआईटी खड़गपुर से जैव प्रौद्योगिकी में पीएचडी और एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक है। वह पिछले 3 वर्षों से प्रतिष्ठित वैक्सीन निर्माता भारतीय इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड में वरिष्ठ प्रबंधक है और सीधे वैक्सीन अनुसंधान और विकास में शामिल है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण है।

नवजोत सिंह सिद्धू का प्रकरण बना सहायक

इस प्रकरण में पूर्व क्रिकेटर, राजनेता और कॉमेडी की चर्चित हस्ती नवजोत सिंह सिद्धू बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य का भी हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि मामले के विशेष तथ्यों के आधार पर दुर्लभ मामलों में दोषसिद्धि पर स्थगन का निर्णय लिया जा सकता है। मामले में सिद्धू की पिटाई से एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई थी। बाद में इस आरोप में सिद्धू को एक वर्ष के कारावास की सजा भी हुई थी।

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