उत्तराखंड में विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान को सुदृढ़ करना हमारा मूल उद्देश्य- प्रो. (डॉ.) अनीता रावत..

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) द्वारा सीआईएमएस, देहरादून में स्थापित किए गए यूसर्क एग्रो इकोलॉजी इंटरप्रैन्योरशिप डेवलपमेंट सेन्टर के अंतर्गत सोमवार 28 अप्रैल 2025 को “प्लांट टिश्यू कल्चर, मशरूम स्पाॅन प्रोडक्शन एवं वर्मी कंपोस्ट” विषय पर साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सीआईएमएस, देहरादून में किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में यूसर्क की निदेशक प्रो. (डॉ.) अनीता रावत ने यूसर्क द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न वैज्ञानिक कार्यक्रमों और पहलों की जानकारी प्रतिभागियों के साथ साझा की। उन्होंने कहा आप सब भलीभांति जानते होंगे कि उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) एक स्वायत्त संगठन है, जो सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और सुशासन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य कर रहा है। हम देश के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के साथ समन्वय में कार्य कर रहे हैं। देशभर में केवल सात आईआईएसईआर हैं, और हमें गर्व है कि हमने आईआईएसईआर मोहाली के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) किया है, जिसके तहत हमारे विद्यार्थी, संकाय सदस्य और शोधकर्ता प्रशिक्षण ले रहे हैं।

उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण हमारी पूर्व में आयोजित श्रृंखलाओं का ही एक भाग है, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपने स्वयं इस प्रशिक्षण में भाग लेने का निर्णय लिया है। आपका यह एक कदम निश्चय ही आपकी सफलता और उज्ज्वल भविष्य के नए मार्ग प्रशस्त करेगा। मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के प्रशिक्षण आपके दृष्टिकोण का विस्तार करेंगे, आपकी सोच को व्यापक बनाएंगे, समस्याओं को देखने की नई समझ देंगे, और आपके कौशल का विकास करेंगे। हमने विगत चार वर्षों में 77 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं, और यह 78वां प्रशिक्षण है। हम उत्तराखंड राज्य में इस प्रकार के मुफ्त हैंड्स-ऑन प्रशिक्षणों के अग्रदूत रहे हैं।

डॉ. अनीता रावत ने बताया कि हमने विभिन्न महाविद्यालयों में 12 उद्यमिता विकास केंद्र (Entrepreneurship Development Centre) भी स्थापित किए हैं। हम विज्ञान के मूल विषयों से लेकर उन्नत विज्ञान जैसे आणविक जीवविज्ञान, डीएनए अनुक्रमण और बायोइन्फॉर्मेटिक्स तक के प्रशिक्षण आयोजित कर रहे हैं। हमारे प्रशिक्षणों में 60% विद्यार्थी पहाड़ी क्षेत्रों से और 40% मैदानों से आते हैं। इसका उद्देश्य यह है कि जिन विद्यार्थियों के पास संसाधनों और अवसरों की कमी है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। अब तक हमने लगभग 3600 विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया है। आज भी, हमारे प्रशिक्षणों में लगभग 80% छात्राएँ और 20% छात्र हैं। यह इस बात का संकेत है कि लड़कियाँ भी चुनौतियों का सामना करते हुए शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बी.एल.जे. सरकारी पीजी कॉलेज, पुरोला, उत्तरकाशी से 7, डी.ए.वी. (पी.जी.) कॉलेज, देहरादून से 2, देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय से 7, दून विश्वविद्यालय से 4 प्रशिक्षणार्थी सहित कुल 20 विद्यार्थी प्रतिभाग कर रहे हैं।

कार्यक्रम में सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने अतिथियों एवं विभिन्न जनपदों से आए प्रशिक्षणार्थियों का कॉलेज परिसर में स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए यूसर्क का धन्यवाद करते हुए कहा कि यूसर्क का यह प्रयास राज्य के युवाओं को वैज्ञानिक सोच से जोड़ते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एफआरआई, देहरादून की वैज्ञानिक डॉ. मोनिका चौहान ने प्रशिक्षुओं को प्लांट टिश्यू कल्चर, मशरूम स्पॉन उत्पादन एवं वर्मी कम्पोस्ट से संबंधित तकनीकी पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इन विषयों में संभावनाओं, तकनीकी चुनौतियों और समाधान पर गहराई से प्रकाश डाला। साथ ही प्रयोगशाला में प्रशिक्षणार्थियों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग कराई।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीआईएमएस कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल के प्रधानाचार्य डॉ. के. एस. नेगी, यूसर्क एग्रो इकोलॉजी इंटरप्रैन्योरशिप डेवलपमेंट सेन्टर सीआईएमएस एंड आर देहरादून के केन्द्र समन्वयक डॉ. रंजीत कुमार सिंह, सह सहमन्वयक डॉ. दीपिका विश्वास,    कमल जोशी एवं सीआईएमएस के शिक्षक गण उपस्थित रहे।